Thursday 29 December 2016

मैं बेटे की मॉ हूँ

बेटी की मॉ की व्यथा तो जगजाहिर है
पर बेटे  की मॉ की व्यथा???
पाल- पोसकर बडा किया
उसकी हर जरूरत पूरी की
पानी का ग्लास भी हाथ में दिया
बाहर रहने पर जब तक घर नहीं आया
सोई नहीं!!
पर घर में नहीं रख सकी
बेटा जो है ,घर में थोडी बैठेगा
देर रात आने पर पिता से छुपाना
खाना गर्म कर देना
अगर बाहर खा आया तो उठाकर फ्रीज में रखना
दूसरे दिन वही खुद खाना
बेटे को ताजा देना
एक बनियान भी नहीं धोना
कपडा धोना ,इस्री करना आदि काम.
शादी हुई तब भी वही हाल
पहले त्योहार दोस्तों के साथ मनाता था
अब अपनी पत्नी के साथ
घर से अब भी गायब
अब तो उसे अपने और भी फर्ज निभाना था
मन की ईच्छा मन में ही धरी रह गई
पूरा परिवार इकठ्ठा हो जश्न मनाएगा
यह तो हुआ नहीं
अब तो डर लगता है कि
कहीं घर छोडकर न चला जाय
और उम्र के इस पडाव पर कोई रिस्क नहीं ले सकती

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