Saturday 1 July 2017

अपनी तुलना किसी से मत करो

तुम जो भी हो श्रेष्ठ हो
अपनी तुलना किसी से मत करो
ईश्वर की हर रचना अपने आप में सर्वोत्तम है
ईश्वर ने छोटी घास और बॉस को एक ही जमीन दी
पर घास थोडे ही समय में उग कर लहलहाने लगी
बॉस को समय लगा उसे अपनी जडे जमाने में
लेकिन जब उसकी जडे जम गई तब उसने ऊंचाई को छूने लगा
और ऊँचा उठने लगा
जबकि घास एक सीमा तक जाकर रूक गई
अगर तुम सबके साथ नहीं चल सकते
कोई बात नहीं
तुम अपनी रफ्तार से चलो
सफलता तो अवश्य एक दिन मिलेगी
उस दिन तुम बॉस के जैसे ऊँचा भी उठ सकते हो
अपने को छोटा और हीन समझना अपना ही अपमान करना है
स्वयं से प्रेम करना है तभी तो दूसरों से भी प्रेम कर पाओगे
हाथ की पॉचों उंगलियॉ भी एक जैसी नहीं रहती
तब तुम किसके जैसे कैसे हो सकते हो
तुम ईश्वर की अनूठी रचना हो
तुम्हारे जीवन का कुछ उद्देश्य है
उसे सार्थक करना है
अपनी प्रतिभा निखारना है

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