Thursday 17 August 2017

बबूल

यह पेड बबूल का जो देखा
बचपन याद आ गया
कॉटों भरा पेड जिसके नीचे से कितनी भी सावधानी से गुजरो
कॉटा चुभ ही जाता था
कुछ पल वहीं ठहर कॉटे निकाल आगे बढ जाते थे
इस पेड को कोई लगाता भी नहीं
स्वयं उग जाने वाला पेड
दातुन के कारण जाना जाता है
कुछ कसैलापन लिए हुए
अब विज्ञापनों में बबूल के टूथपेस्ट का प्रचार होता है
पर आज के बच्चों ने तो शायद बबूल का पेड देखा भी नहीं होगा
औषधीय गुणों से भरपूर
कहीं यह लुप्त न हो जाय
जंगल या गॉव से दूर भले हो पर है तो बेमिसाल
है तो कॉटों भरा पर फिर भी उपयोगी
पत्ती से लेकर गोंद तक
दर्द निवारक
इस विरासत को खोना नहीं है

बोया पेड बबूल का तो आम कहॉ से पाए

इस कहावत को भी जिंदा रखना है

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