Saturday 4 November 2017

खिचडी

मैं खिचडी , सब परिचित है मुझसे
पर मैं सबकी पसन्द हो ,यह जरूरी नहीं
बीरबल की खिचडी तो सबने पढी होगी
मुहावरों में भी मेरा प्रयोग
आपस में क्या खिचडी पक रही है
मैं आलीशान भोजन में तो कम ही समाविष्ट
पर सबकी जरूरत जरूर हूँ
गरीब हो या अमीर
बीमारी में तो मैं ही आधार
उपवास - व्रत में
थकान हो या मन न हो
मुझे बनाना बहुत सरल
हॉ तरीके बहुत है
अनाडी भी मुझे बना कर पेट भर लेगा
हॉ मीठा रूप भी है मेरा
खट्टा ,मीठा,नमकीन ,तीखा हर रूप
पौष्टिकता में भी अव्वल
पचने में आसान
मुझमें कुछ भी मिला लो
हर तरह की दाल - सब्जी
सादी भी और मसालेदार भी
और घी का साथ तो स्वाद और भी बढा देता
हर राज्य और प्रांत में मैं
आज गर्व हो रहा है भारत की पहचान बनकर

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