Wednesday 29 August 2018

जिंदगी की यात्रा

हम बस मे रेल मे सडक पर
यात्रा करते ही हैं
इस यात्रा मे अनगिनत सहयात्री मिलते ही है
कभी प्रेम तो कभी नोकझोंक
कभी कभार तो भयंकर वादविवाद
यह भी सबको पता होता है
यह कुछ मिनट या कुछ घंटों का.सफर हैं
फिर वह कहाँ और हम कहाँ
फिर मिले भी या.नहीं
यही तो जिंदगी का भी फलसफा है दोस्तों
पता नहीं कितनी जिंदगी मिली है
सब सवार है
पर उतरना कहाँ है
यह पता नहीं
कब तक चलेगी
बरसों या कुछ पल
इसमें वह देर नहीं करती
न बताती है
क्षण का पता नहीं
और हम न जाने क्या क्या कर डालते हैं
जब आए हैं तो
जितनी भी मिली
जो भी मिली
जैसी भी मिली
खुशी खुशी जी लिया जाय
कल हो या न हो

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