Friday 31 August 2018

दोस्त अब थकने लगे हैं

दोस्त अब थकने लगे हैं
उत्साही चेहरे पर अब थकान झलकने लगी है
अब वह भागमदौड़ नहीं होती
शरीर अब कमजोर हो रहा है
पेट भारी और बढ़ रहा है
पतली कमर जिस पर इतराने थे
वह असीमित मात्रा मे फैल रही है
मेकअप के बाद भी चेहरे पर झुर्रियां दिख रही हैं
बालो में चांदी सी सफेदी झलकती है
पैरों से छलांग लगाने की बात ही छोड दे
घुटने ही जवाब देने लगे हैं
हंसते हुए वह मोती से दांत
अब धीरे धीरे गिरने  लगे हैं
दहाड़ती हुई आवाज़ कमजोरी पडने लगीं है
स्वयं पर निर्भर रहना पसंद था
वहीं आज दूसरों का सहारा लेने की मजबूरी बन गई
नयी तकनीक पल्ले पड़ती नहीं
सब गोल गोल घूमने लगता है
एक  समय हम मे जीते थे
आज किसी का साथ चाहिए
कभी फिल्मों की बातें होती थी
आज जीवन बीमा की बातें होती हैं
कभी हीरो पर ही चर्चा
आज डाँक्टर पर चर्चा
पहले घर भागते थे
आज कदम रूक कर डालते हैं
हर समस्या चुटकी मे हल कर लेते थे
आज चिंता मे घिर जाते हैं
वर्तमान मे जीते थे
अब तो भविष्य ही पता नहीं
खिलखिलाहट समय के साथ धीमी पडी
दोस्ती भी थकने लगी
वक्त भी बदला
दोस्त भी और दोस्ती भी
उम्र ढल रही
आत्मविश्वास कम हो रहा
अब कदम उठाना पड़ा
तो संभालने भी होगे
दोस्त अब थक रहे

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