Sunday 21 April 2019

कटिंग चाय

कटिंग चाय और उसकी चुस्की
इससे परिचित है हर मुंबई कर
कटिंग चाय जो पीता है
वही जानता है
एक पूरी चाय को आधा -आधा
वह हो गई कटिंग
जेब भी ज्यादा नहीं कटी
इच्छा भी हो गई पूरी
फुटपाथ पर रहने वाले हो
काँलेज स्टूडेंट्स हो
मजदूर वर्ग हो
आँफिस स्टाफ हो
दो -चार दोस्त हो
यह सब अमूमन दिख जाएंगे
किसी छोटी सी टपरी के आगे
चाय की सिप लेते
बतियाते ,खिलखिलाते
चायवाले का बर्तन कभी खाली नहीं रहता
चाय बनती रहती है
लोग पीते रहते हैं
बिना शक्कर
स्पेशल
सादा
सब तरह की जायकेदार
यह फुटपाथी चाय
पंचसितारा होटल को भी मात दे देती है
सुबह पांच बजे जो खुलती है
आठ -नव बजे तक लगातार चलती है
वाँकिग करके आए लोग
व्यापारी वर्ग
जनसामान्य
सब इसके दीवाने
बड़ा -पाव अगर पेट भरता है
तो कटिंग चाय तरोताजा करती है
स्वस्त और मस्त
भागती -दौड़ती जिंदगी
उसका आधार
कटिंग चाय और बड़ा पाव

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