Thursday 25 April 2019

चुनावी समर

समर है भयंकर
रणभूमि पूर्ण सुसज्जित
रणभेरी बज चुकी
सब हुंकार भर रहे
नारों की गूंज
ढोल -ताशो की आवाज
रणबांकुरे निकल पड़े है अपने काफिले के साथ
तपती धूप मे भी हंसी बिखेरते
हाथ जोड़ते
गले लगाते
गली गली घूमते
कभी गाड़ी तो कभी पैदल
सभी चुनावी रथ पर सवार
अपनी अपनी बात कहते
लुभावने वादे देते
दूसरों की कमियां गिनाते
कमर कस ली है
हार नहीं मानेंगे
जीत हमारी ही है
सभी का दावा
लडाई तो लड़ रहे हैं
परिणाम का पता नहीं
जमे हैं अपने लाम -लश्कर के साथ
कोशिश तो पुरजोर है
किसकी कोशिश रंग लाती है
कौन जीतता है
यह अनिश्चितता
सब मशीन मे बंद
जिस दिन यह पिटारा खुलेगा
कुछ की सिट्टी पिट्टी  गुम
कुछ झूम उठेंगे
यह युद्ध है चुनाव का
अंतिम समय तक हार नहीं मान सकते

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