Wednesday 26 June 2019

अपने हिस्से की लडाई

आज बेटी को स्कूल छोड़ने गई
पहला दिन था
वह तो खुश थी
पर मैं नर्वस थी
कैसे पूरा दिन रहेगी
क्या करेंगी
डिब्बा खाएगी या नहीं
मन अविचलित हो रहा था
अचानक ख्याल आया
इतनी उलझन में मैं क्यों

कभी मुझे भी तो किसी ने इस तरह पहुंचाना होगा
मैं भी उनकी लाडली रही होऊगी
पर उन्होंने मुझे कभी घर रहने नहीं दिया
छोटी मोटी बीमारी में भी

आज लगता है
सही थे
परेशानी तो लगी रहती है
पर काम तो रूकता नहीं

आज पाठशाला की दहलीज पर कदम रख रही है
कल न जाने क्या घटित होगा
मैं कहाँ तक साथ रहूंगी
अपने हिस्से की लडाई तो अकेले ही लडनी पड़ेगी

मन शांत हो गया
माँ हूँ न
सोचना स्वाभाविक था
पर साथ में यह भी याद रखना चाहिए
हम माँ है
जीवन नहीं

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