Thursday 29 August 2019

लेनदार नहीं देनदार बने

प्रेम समर्पण चाहता है
त्याग चाहता है
प्रेम वाचाल नहीं होता
वह लाचार भी नहीं होता
वह भावना से जुडा होता है
उसका अनुभव होता है
बिना कहे बिना सुने
एक स्पर्श ही काफी है
इसमें प्रतिस्पर्धा भी नहीं होती
न जोड -घटाना होता है
किसने क्या लिया
किसने क्या दिया
इसमें मत उलझिए
उसे महसूस करें
खुले दिल से बांटे
दानदाता बने
लेनदार नहीं देनदार
तब देखे
सब कुछ सुखद होगा

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