जन्म हुआ था
इस संसार में आगमन हुआ था
बेटी थी
जमाना दूसरा था
बेटी का वह स्थान नहीं था
आज भी सब जगह नहीं है
तब तो उस समय की बात और थी
हमारे परिवार तो कुछ विशेष था
नाराजगी नहीं
काली माता का चौरा पक्का करवाया गया
वंश चला था
उस बेटे से जो बचपन में मरणासन्न अवस्था में हो गया था
जिसकी माँ बचपन में सिधार गई थी
वंश के उस बुझते बुझते दीपक से वंश रोशन हुआ था
बेटी ही सही आशा ने जन्म लिया था
नाम रखा उम्दा
बहुत बढिया
वह बडी हो सभी की आशा बनी
पता नहीं कैसे बेटे और बेटी में भेदभाव किया जाता है
यहाँ तो माॅ इस्तरी के अभाव में लोटे में कोयला डाल कपड़ा पहनाती थी
दशक साठ का भले था
पिता कंधों पर बस्ता टांग कर पाठशाला पहुंचाते थे
दादा की लाडली थीं
पढाई भी हुई
लोगों ने भले नाक भौ सिकोड़ी हो
अगर माता पिता संतान के साथ हो
संसार की हर बाधा पार हो सकती है
माता पिता भाग्य तो नहीं लिख सकते हैं
पर कठिन समय में छत्रछाया तो रख ही सकते हैं
आज जीवन के इस पडाव पर भी
उनका प्यार एक सुकून देता है
गर्व होता है
परवरिश पर
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Tuesday 14 January 2020
बेटी हुई है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment