Sunday 8 March 2020

मैं हंसता रहा

मैं हंसता रहा
सहता रहा
दर्द को झेलता रहा
ऑसू को पीता गया
मुस्कान बिखेरता रहा
दूसरों की खुशियों में शामिल होता रहा
अपनी पीडा को दबाता रहा
वक्त थप्पड़ मारता रहा
जिंदगी में तूफान आता रहा
हार न माना
जीना तब भी रास आता रहा
हार तब भी न माना
कारण था
जीने की वजह थी
एहसास बाकी थे
संवेदना मरी नहीं थी
आशा बाकी थी
जिंदगी जो साथ चल रही थी
बिना रुके
बिना थके
बिना शिकन
बिना गिला शिकवा
जिसने जीने का जज्बा दिया
आज वह नहीं है
उसकी याद है
किसी दूसरे लोक की वासी
अब न दर्द है
न दवा देने वाली है
न घाव पर मरहम लगाने वाली है
सब कुछ है
पर वह साथ नहीं
तब जीने की कोई वजह बची नहीं
तब दर्द था
आज नहीं है
पर उस अलगाव की पीड़ा है
जो न जीने दे रही
न मरने दे रही

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