Friday 20 March 2020

इम्तिहान तो ताउम्र

बच्चे थे छोटे थे
परीक्षा देते रहते थे
क्लास दर क्लास
डरते रहते थे
पेपर कैसा आएगा
पेपर कैसा जाएगा
घर वालों का डर अलग
कक्षा में क्या प्रभाव रहेगा
रिश्तेदारो में
हमेशा जी जान से लगे रहते थे
सोचते थे कब यह जंजाल खत्म हो
कब जीवन व्यवस्थित हो
पर कहाँ पता था
यह इम्तिहान कभी खत्म नहीं होंगे
स्कूल - कालेज छूट गए
अच्छी नौकरी भी लग गई
शादी ब्याह ,बाल बच्चे भी हो गए
सब कुछ लगा
सुरलित चल रहा है
पर जिंदगी कहाँ छोड़ती है
वह तो ताउम्र इम्तिहान लेती है
बचपन गया
जवानी बीती
इम्तिहान अभी भी जारी है
अब तो लगता है
यही नियति है
कुछ बिना मेहनत के पास हो जाते हैं
कुछ जीवन भर एडिया घिसते रहते हैं
जब पीछे मुड़ कर देखते हैं
तब लगता है
जहाँ से चले थे
वही पर खडे हैं
बदला कुछ भी नहीं
बस समय आगे निकल गया
हम तो वैसे ही है
वहीं संघर्ष
वहीं हालात
शायद पहले से भी कठिन
सही है
बचपन छूट जाता है
इम्तिहान तो ताउम्र

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