Saturday 28 March 2020

करोना ने बहुत कुछ सिखा दिया

करोना ने बहुत कुछ सिखा दिया
हम भूल गए थे जीना
वर्कोहलिक बन गए थे
काम के सिवाय कुछ न सूझता था
घर को सराय बना दिया था
करोना ने जीना सिखा दिया
घर में बैठ बतियाना भूल गए थे
सब अपने अपने में थे
इसने साथ लाकर खडा कर दिया
एक जगह सबको बिठा दिया
अपनों से अपनों की दूरी मिटा दी
पुराने दिन लौटा दिए

घर का स्वाद जीभ पर न चढता था
होटल के आगे वह फीका लगता था
त्यौहार में घर से अच्छा रिसोर्ट लगता था
घर के लोग से भले बाहर की सोहबत भाती थी
अपना काम करना भारी लगता था
बस दूसरों पर निर्भर रहना था
घर काटता था
कदम रूकते नहीं थे
बाहर जाने को हर वक्त तत्पर रहते थे
आज वो दहलीज पर ही रुक गए हैं
बाहर जाने पर पाबंदी जो है

भगवान के नाम पर
धर्म और जाति के नाम पर
दंगे फसाद जो होते थे
उस पर पूर्ण विराम लग गया है
अब तो सब दहशत में
दहशत फैलाने वाले भी डर कर घर बैठ गए हैं
सबको एक पटरी पर ला खड़ा कर दिया

जहाँ मन किया वहाँ थूका
स्वच्छता का जी भर चीर हरण किया
मल मूत्र का विसर्जन किया
पान की पीको से हर चौराहे को लाल किया
कूडा कचरा तो इस तरह डाला
जैसे कि हर जगह कूड़ेदान हो
जूते चप्पल उतारना भूल गए
नमस्ते करना छोड़ दिया
हाय ,हैलो और हाथ मिलाना
बस यही करते रह गए

गरीब की बीमारी नहीं
यह अमीर से आई है
अपने वतन को तुच्छ लेखते
आज वतन की याद आई है
जब जान पर बन पाई है
डाक्टर और पुलिस को कोसने वाले
उनसे हाथापाई करने वाले
अब उनमें भगवान देखने लगे हैं
नियम को तोडने वाले अब नियम का पालन करने लगे हैं
भीड़ जमा करने में माहिर
अब अकेले रहना पसंद कर रहे हैं
सब जान रहे हैं
यह जानलेवा है
तब जान की कीमत समझ में आ रही है
आवारागर्दी पर लगाम लग रही है

सबको डरा दिया
सबका अहंकार तार तार कर दिया
शक्तिशाली को लाचार कर दिया
करोना ने बहुत कुछ सिखा दिया

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