Wednesday 27 May 2020

मासिक धर्म को उपेक्षित नजरों से क्यों देखे

मैं इतना उपेक्षित
इतना तिरस्कृत
कोई मुझे पसंद नहीं करता
सब मुझे बोझ समझते हैं
यहाँ तक कि छुपाया जाता है
रसोईघर में प्रवेश की मनाही
ईश्वर के दरबार में भी यही हाल
शायद यह नहीं समझते
मैं मानव जाति के लिए वरदान
मुझसे ही सृष्टि
मैं नारी जाति का अभिन्न भाग
मेरे बिना हर नारी अधूरी
हर कोई यौवनावस्था में प्रवेश करने पर मेरी बाट जोहता
पुरूषो के सामने या और सदस्यों के सामने उच्चारण करने में भी शर्म
ऐसा नहीं कि कोई मुझसे परिचित नहीं
फिर भी हेय दृष्टि से देखना
यह परंपरा सदियों से
आज बदलाव आ रहा है
तब मुझे भी अच्छा लग रहा है
मैं किसी की उन्नति में बाधक नहीं बन रहा
महीना , मासिक धर्म , पीरियड इनसे मैं जाना जाता
अब धारणा बदल रही है
सोच बदल रही है
स्वीकार किया जा रहा है
ऑसू का स्राव , स्वेद का स्राव
वैसे ही रक्त स्राव
यह तो शरीर की नैसर्गिक क्रिया है
इसमें छुपाना
शर्माना
कोई वजह नहीं
इसे सामान्य भाव से स्वीकार करना चाहिए

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