Wednesday 27 May 2020

धरती माँ अपने बच्चों को भूखा नहीं रखेंगी

आज सब मजबूर
फिर भी है किसान मजबूत
उसे इतना तो भरोसा है स्वयं पर
भूखे नहीं मरेगे
धरती माता इतना तो दे ही देगी
पेट तो भर ही देगी
नून रोटी मिल ही जाएंगी
किसी तरह परिवार का गुजर बसर हो ही जाएंगा
सब वापस अपने उसी जमी पर जा रहे हैं
विश्वास है गुजारा कर ही लेंगे
शहर में तो नौकरी नहीं
तब कुछ भी नहीं
रोज कमाओ
रोज खाओ
बीमार पड गए तो पगार कट जाएंगी
गाँव में तो यह बात नहीं है
अपने मन के राजा
फसल बो दी तब अन्न उपजेगा
सब्जी लगा दी तब बेल पर असंख्य लद जाएंगी
महीनों तक खुद खाएं औरों को भी खिलाएं
बगिया पूर्वजों ने लगाया
फल आज तक मिल रहे हैं
गाय नहीं बकरी ही पाल लेंगे
दूध का इंतजाम तो हो ही जाएंगा
शहर में काम करते हैं तब रूपया मिलता है
उसी से अनाज खरीदते हैं
गाँव में भी काम करते हैं
वहाँ पैसा तो नहीं पर अनाज मिलता है
धरती माता किसी तरह पेट जरूर भर देती है
अपनी संतान को भूखा नहीं रखती है
पिज्जा - बर्गर न मिले
लिट्टी-चोखा तो जरूर मिलेगा
इसी विश्वास के साथ फिर वही जा रहे हैं
जहाँ से आए थे
धरती माता अपने बच्चों को भूखा नहीं रखेंगी
कुछ न कुछ इंतजाम तो कर ही देगी

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