Monday 8 June 2020

मैं तुम्हारी पाठशाला

मैं बोल रही हूँ तुम्हारी पाठशाला
बहुत उदास हूँ
मन नहीं लगता तुम्हारे बिना
बहुत याद आते तुम सब
अब तो अकेले ही खडी हूँ
तुमसे हमेशा गुलजार रहती
वह आज सूनेपन से घिरी
कहाँ हो तुम सब
इंतजार में ऑखे बिछाए
तक रही
कब तुम दौडते गेट में घूसोगे
क्लास रूम में बस्ता रख ग्राउंड में चहलकदमी करोगे
घंटी की आवाज़ सुन भागकर कतार में लग जाओगे
सुबह-सुबह प्रार्थना की शुरुआत करोंगे
फिर कतार में क्लास रूम की तरफ रूख
कब उसको गुलजार करोगे
Good morning  Miss sssssssssssss
आज तो ब्लेकबोर्ड भी अकेला है
कोई सुविचार और सजाने वाला नहीं
डस्टर तो धूल से सना हुआ
कोई झाडने वाला नहीं
चाॅक भी एक दूसरे का मुंह ताक रही
न शिक्षक न छात्र
बस सूनी दीवारें
कैंटीन बंद
बडा पाव की सुगंध गायब
लाॅन में कोई खेलने वाला नहीं
पी टी करने वाला नहीं
पुस्तकालय की पुस्तकों को कोई उलटने पलटने वाला नहीं
सब करीने से सजी हुई
स्टाफ रूम में न अंदर शिक्षक
न बाहर इंतजार में बच्चे
मे आई कम इन
यह आवाज लापता
न अंदर कोई
न बाहर गेट पर पैरेन्टस
शिकायत करते हुए
न स्कूल बस न स्कूटर
गेट है एकदम खाली
पर आने वाला कोई नहीं
साइंस लैब तो ऊपरी मंजिल पर
सोच रहा है
भाई इतना सन्नाटा क्यों
तुम्हारे बिना तो मेरा अस्तित्व ही नहीं
एक बेजान ईमारत से ज्यादा कुछ नहीं
तुम तो मुझमें जान डालते हो
मुझे जिंदादिल बनाते हो
याद आ रही है सभी की
कब आओगे
फिर हलचल मचाओगे
शैतानियाॅ करोंगे
मैं तो तुमसे ही हूँ
तुम मुझे भले छोड़ जाते हो
मैं तुम्हें नहीं छोड़ता
मंजिल पर पहुंचा ही देता हूँ
जिंदगी के अनमोल लम्हे तुम्हारे
वह मैं जीती  हूँ
आज तुम्हें बहुत मिस करती  हूँ
अब ज्यादा इंतजार नहीं
यह महामारी जाए
तुम सही सलामत
उधम मचाते आओ
यही प्रार्थना हमारी

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