Monday 29 June 2020

वह एक उधार याद रहा

कभी मैंने किसी से उधार मांगा था
ज्यादा नहीं बस दो सौ
कहीं जाना था
बहुत अजीज था
बहुत विश्वास था
फिर भी नकार दिया
अजीब सा लगा
पर वह वाकया जिंदगी का सबक सिखा गया
पैसा बचाना है
आने वाले दिनों के लिए
भविष्य के लिए
हारी बीमारी के लिए
जरूरतो के लिए
केवल खाना कमाना ही नहीं
साथ में बचाना भी
संकट में कोई मदद नहीं करता
किसी के आगे हाथ फैलाना
कितनी बडी मजबूरी
अपने स्वाभिमान को ताक पर रख देना
ना सुनने पर शर्मदिंगी महसूस करना
मानों कितना बडा अपराध
बहुत पैसा कमा लिया
पर वह एक उधार याद रहा
वह जिंदगी का सबक सिखा गया
पैसा सब कुछ तो नहीं
पर बहुत कुछ है
उसके बिना कोई पूछ नहीं

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