Tuesday 29 September 2020

लेन देन में चोखा

वह दोस्त था मेरा
सबसे जिगरी दोस्त
दो जिस्म एक जान
खाना पीना
उठना बैठना
घूमना फिरना
मौज मजा
सब साथ साथ
एक वाकया ऐसा
सब बदला बदला सा
पैसे मांगे
जरूरत थी
दे दिया
आज मुझे जरूरत
पैसे मांगे अपने
लगा कोई अपराध कर दिया
उधार चुकाना तो दूर
चार बात सुना दिया
बात करना बंद कर दिया
अब तो साथ क्या
देख कर ऑखे फेर लेता है
मिलना क्या
रास्ता बदल लेता है
एक सीख मिली
दोस्ती करो
उधारी नहीं
रिश्तों में पैसे का व्यवहार नहीं
कब किसकी नियत बदल जाय
कब कोई धोखा दे जाय
तभी पुराने कह गए हैं
हिसाब-किताब बराबर रखो
उधारी से बचो
लेन देन में चोखा
नहीं मिलेगा धोखा

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