Sunday 1 November 2020

फूलों का जग

फूलों से बना यह जग खूबसूरत
यह बगिया में तो चार चाँद लगाते ही है
जीवन को भी खुशगंवार बनाते हैं
सुगंधित करते हैं
ईश्वर के चरणों में तो अर्पित होते ही है
गजरे में गूंथ कर केशों की शोभा बढाते है
बारात हो तब भी फूलों के साथ
अंतिम यात्रा हो तब भी फूलों के साथ
जीवन का आरंभ
जीवन का अंत
सब जगह विद्यमान है यह फूल
वह हमेशा मुस्कान भरते हैं
स्वयं और दूसरे में भी
जब तक मुरझाते नहीं
पूरी शिद्दत के साथ जीते हैं
दो दिन की ही जिंदगी
पर जीया जाय तो इनकी तरह
खुशबू और खूबसूरती
मनमोहनी शक्ति
कौन इनसे नाता नहीं जोड़ना चाहता
बच्चों से बूढ़ों
पुरुष से महिला
हर किसी को प्रिय
हिन्दू हो या मुसलमान
सिख हो ईसाई
फूलों का गुलदस्ता सभी की पसंद
यह अकेला भी प्रिय
सबके साथ मिल और प्रिय
इससे बडा प्रेरणादायक
नहीं हो सकता
और कोई

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