Monday 24 January 2022

सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी

गिरगाॅव की आर्यन पाठशाला से देनावाडी की चाल में  कुछ खास बात थी ।
तू वहाँ से जहाँ तक पहुंचा यह कोई साधारण नहीं शानदार बात थी ।
माटुंगा का कट्टा , पोद्दार काॅलेज का अड्डा , ए बी वी  पी का
एंजेडा
स्टूडेंट पॉलिटिक्स मे तेरी ठाठ थी
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

जीवन बीमा को ज्वाइन करना
916 में तेरा आना
सब सीनियर के बीच अपनी एक अलग राह बनाना
ए बी एम बनने की ख्वाहिश जताना , एक अलग बात थी
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

जवानी में ही सफेदी सर पर लहराना
उम्र तीस की और पैंतालीस की परिपक्वता दिखाना
सबके दिल में धीरे-धीरे उतर जाना
हर एक को अपना बनाना
हर काम को प्यार से करवाना
हर क्लोंजिग में अल्पोहार खिलवाने की सौगात थी
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

एक हाथ में सिगरेट
एक हाथ में कलम
कोरे कागज पर श्री लिखकर
प्यार से अपने मुद्दों को समझाने की स्टाइल कमाल थी
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

अपनी बात बहुत समझाने पर एजेन्ट न समझे
तो हरिवंशराय बच्चन जी का तरीका अपनाना
मधुशाला को कार्यशाला बनाकर हर एक से अपने मन की बात उगलवाना
धीरे-धीरे हर घूंट के साथ उसे उसका मकसद समझाना
जीवन और जीवन बीमा के व्यापार की बारीकियों को समझा कर सही राह दिखाना
तेरा ये मोटीवेशन का तरीका लाजवाब था
एक बनिये गिरी की जगह बिजनेस में पढाई का महत्व बतलाना
उस पर अमल कर एसोसिएट बन जाना
हर ज्ञान का उपयोग कर सफलता के राह पर पहुंचने की नई रीति की शुरुआत थी
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

चुन - चुनकर एंजेट बनाना
हर एक के साथ अलग से समय बिताना
उसे जिंदगी का फलसफा समझाना
एक बेहतर भविष्य की कल्पना करवाना
क्वांटिटी ऑफ एजेन्ट से क्वालिटी ऑफ एजेन्ट बनाने की शुरुआत थी
भोर में पक्षियों की चहचाहट के साथ दिन का एंजेडा बनाना
जब तक लोग जागे तब तक आगे का कार्य कर जाना
ब्रांच में समय पर आकर लोकसत्ता पढते हुए आराम से बिजनेस करता हुआ दिखना
यह भी था लोगों के लिए अचंभे की बात
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

ट्रेनर से ट्रेनिग लेने की
एजेन्ट को प्रोफेसनल बनाने की नई शुरुआत
एक ट्रेनर का गलियों के बीच उद्देश्य समझाना
म ब ल च की गलियों के साथ कडाई से अपनी बात मनवाना
दूसरी तरफ मुरली की धुन पर सरस्वती आराधना के साथ प्यार से रिश्तों की अहमियत बताना
अपनों के लिए काम करने की प्रेरणा जगाना
दो विरोधाभास में समन्वय बनाकर अपने उद्देश्य की सफलता पा लेना
यह बहुत बडी बात थी
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

कम बोलना , विवादों से बचना
शांति और गंभीरता से सोचना
हर समस्या का समाधान ढूंढना
हर कार्य में तल्लीनता से जुड़ना
हर काम को चुपचाप करवा लेने की प्रथा में महारथ हासिल था
पेपरों की ट्रैफिक में एक अपनी स्पेशल लेन
बिना स्पीच देकर कम्पलीशन की गाडी समूल चलाने की नई रीति कमाल की थी
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

तेरे चरित्र में समय की पाबंदी
आयोजन - प्रयोजन की जिम्मेदारी (916की पूजा)
न किसी की परनिन्दा न बुराई न तकरार न बेसिर-पैर की बातें
हर किसी का आदर- सत्कार
सभी की बातों को ध्यान से सुनना
सही समय पर हास्य भरा जोक सुनाना
दोस्तों के बीच बिना अहम दोस्त बन जाना
बडे - बडे सूरमाओं में अपनी अलग पहचान बनाना
इज्जत और शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच जाना
तेरे चरित्र की खास बात थी
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

सतीश तू लगता बडा सिंपल था
तेरा कार्य बडा आसान दिखता था
हर कोई तेरी नकल करना चाहता था
तेरी तरह टाॅप हीरों बनना चाहता था
तेरी सिम्पलीसिटी के पीछे की
मेहनत - लगन , गहराई - निष्ठा न जान पाए
तेरे रूप पर सब हैरान थे
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

तुझे समझने की थोड़ी कला मैंने भी पाई थी
तेरे नजदीक होते हुए भी अपनी एक अलग पहचान बनाई
तू नार्थ पोल तो मैं साउथ पोल
पर तेरी परछाई में ही मैंने मैग्नेटिक शक्ति पाई थी
अब मैं तुझ जैसा बन जाऊं
मन में यही चाहत बनाई है
तेरा इस तरह से जाना भी इत्तिफाक था
जाते - जाते ऐसा आलम बना गया
सबके दिलों पर छा गया
तुझमें महान होने वाली हर बात थी
सतीश तुझमें कुछ अजीब बात थी ।

ऐ दोस्त अब क्या लिखूं तेरी तारीफ में
       बडा खास है तू मेरी जिंदगी में
जिंदगी के साथ भी
            जिंदगी के बाद भी ।

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