Wednesday 30 December 2020

एक फौजी की जिंदगानी

फौजी की माँ
फौजी की पत्नी
फौजी के भाई , पिता , चाचा
फौजी के बेटे - बेटी
फौजी का बाकी परिवार
फौजी के दोस्त - रिश्तेदार
फौजी का गाँव
फौजी का शहर
फौजी का देश
सबको गर्व उस पर
हो भी क्यों न
आखिर वह उनके लिए जीता - मरता
उसका जीवन उसका नहीं
जिस दिन फौज में भरती
फर्ज का कर्ज उतारने की जिम्मेदारी
वह  सारे रिश्तों - नातों से अलग
बस एक ही
जब जाता है वह बार्डर पर
सारी मोह - माया सब यही रह जाना है
उसको एक ही लक्ष्य ध्यान रखना होता है
दुश्मन का जवाब
उस पर वार
गोली का जवाब गोली से
उसका दिल नहीं धडकता
उसकी गोली धडधडाती है
किसी का धड तो किसी का सर चीर जाती है
इस पर वह झूम उठता है
दुश्मन के लिए तो  कहर बन जाता है
फर्ज अदा करते - करते शहीद हो जाता है
अंत तक वह बस फौजी ही रहता है
यही दास्तां है उसकी
देश उसकी शहादत को नमन करता है
सबके ऑखों में ऑसू छोड़
वह हंसते हंसते इस दुनिया से कूच कर जाता है
यही उसकी जिंदगानी
यही उसकी कहानी

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