Tuesday 23 February 2021

प्यार का मोल

बच्चे आने वाले हैं
दादी ने यह जाना था
तबसे खुश हो जुट रही थी
नए नए पकवान बनाने में
लड्डू , मठरी और शकरपारे
बच्चे तो आए
वह तो पिज्जा - बर्गर वाले
उनको तो यह नहीं भाया
केडबरी , चाकलेट और चिप्स
यह था उनका प्रिय
दादी का पकवान देखते ही
सिकुड़ जाता मुख
यह क्या है
हम तो इसे नहीं खाते
छी छी इतना तेल
दादी मन ही मन सोचती
यही खाकर तो तेरा बाप हुआ है बडा
आज तक मजबूत है
बीमारी से दूर
तुम लोगों की ऑखों में अभी से चश्मा
दुबले - पतले हाथ - पैर
वह घी वाले लड्डू
एक खा लिया तो पेट भर गया
बादाम - पीस्ता से भरा हुआ
उसके सामने पास्ता की क्या बिसात
यह बात दिगर है
यह हाथ का बना हुआ
वह रेडीमेड है
उसमें प्यार की खुशबू
इसमें बिजनेस की महक
जो सब पर हावी हो रही है
घर के खाने से बाजार का खाना स्वादिष्ट लगता है
प्यार का मोल अब नहीं रहा

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