Wednesday 17 February 2021

हम न रहें रीते

हमने न देखा एक - दूसरे को
न जोड़ी मिली न कुंडली
बांध दिए ब्याह के बंधन में
जिंदगी भर साथ निभाना था
तुममें और मुझमें जमीन - आसमान का अंतर
भिन्न विचार
भिन्न रहन - सहन
भिन्न परिवेश
भिन्न खान - पान
हर जगह समझौता करना था
हम लडते - झगड़ते रहें
जिंदगी की गाडी चलाते रहे
समझौता करते रहें
मुझे लगा कि मैंने ही सब सहा है
मैं ही झुकी हूँ
शायद वह सही नहीं है
समझौता तो तुमने भी किया है
निभाया तो तुमने भी है
यह सब हुआ
वह जो तुम्हारा निश्चल प्रेम था
मुझ पर अटूट विश्वास
कुछ भी करने को तत्पर
मैंने हमेशा दिमाग से सोचा
तुमने हमेशा दिल से सोचा
दिमाग के आगे दिल जीता
जब जब मुझे लगा
मैं टूटी मैं बिखरी
तुमने मुझे उबारा
खडे हुए मेरी ढाल बनकर
हर बार भरोसा दिलाया
साथ निभाऊगा हर हाल में
वह निभाया भी
आज चालीस साल पूरे हो गए हैं
कभी तुम रूठे कभी मैं रूठी
रूठते - मनाने का सिलसिला चलता रहा
हम अपने को भूल गए
बस एक - दूसरे की याद रही
बरसों गुजरे
        हम एक - दूसरे के साथ रहें
                 अब जो बाकी है वह भी बीते
                                    हम न रहें रीते

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