Friday 19 March 2021

जो बात मुझमें है वह तुममें कहाँ ??

फर्क है तुझ में  और मुझ में
तु गमले का फूल
मैं बंजर धरती में उगा फूल
मुझे किसी ने लगाया नहीं
सहेजा नहीं
खाद - पानी भी नहीं मिला
फिर भी मैं खिला
आंधी - तूफान , बरसात
सबको सहता रहा
मैं स्वयं बढा
तुम्हें तो लगाया गया
देखरेख की गई
समय पर खाद्य - पानी डाला गया
सुरक्षित रखा गया
वह सब मुझे हासिल नहीं
यही तो सबसे बडा फर्क
मैं तो कहीं भी एडजस्ट कर लूंगा
तुम तो नहीं कर पाओगे
मेरा हर अनुभव मेरा है
जीवन को किस तरह जीना
यह मैंने स्वयं सीखा है
हर मौसम का सामना करना आता है
क्योंकि मैं गमले का फूल नहीं
अनंत आकाश के तले बंजर धरती में उपजा
अपने ही बल पर
जो बात मुझमें है
वह तुममें कहाँ ??

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