Wednesday 31 March 2021

हम औरत थी

मुझे सीता नहीं बनना था
वन गमन किया पति के साथ
महलों का एश्वर्य त्यागा
रावण द्वारा अपहरण हुआ
अग्नि परीक्षा भी देनी पडी
फिर भी मुझे स्वीकार नहीं किया गया
इसी समाज ने लांछन लगाया
पति द्वारा गर्भावस्था में त्यागी गई
हो सकता है यह एक राजा की मजबूरी हो
राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनें
मुझे धरती माँ की गोद में शरण लेना पडा

अगर मैं पुरूष होती तब
तब तो मैं भगवान कहलाती
अर्धरात्रि को सोती हुई पत्नी और बेटे को छोड़ बोधि ज्ञान की प्राप्ति की खोज में
आए लौट कर तो भिक्षुक के रूप में
सिद्धार्थ तो भगवान बन गए
वहीं अगर मैं करती तब
पति और बच्चे को छोड़ निकल जाती
तब तो समाज न जाने क्या-क्या लांछन लगाता

मीरा ने राजमहल छोडा
न जाने मारने के कितने यतन हुए
फिर भी वह ईश्वर की भक्त बनी रही
उन्होंने ईश्वर के लिए छोड़ा
हमने अपने पति के लिए त्याग किया
राधा ने कान्हा से प्रेम किया
वह गोकुल को नहीं छोड़ी
कृष्ण हमेशा राधा के ही रहें
यशोधरा , सीता , मीरा और राधा
दो ने पत्नी धर्म निभाया
दो ने बस प्रेम निभाया
हम परित्यक्ता रही
पति हमारे पुरुषोत्तम और भगवान बने
यह सब हुआ
हम औरत थी इस पुरूषवादी सोच की परिणति ।

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