Saturday 24 April 2021

एक तेजाब पीडित लडकी की व्यथा

तुम मुझसे  मोहब्बत  करते थे
यह मैं  तो नहीं  जानती थी
पर तुम तो जानते थे
एकतरफा  प्यार  था तुम्हारा
मुझे  तो पता भी नहीं  था
पता तो तब चला
जब तुमने  इजहार किया
मैंने भी इन्कार  किया
प्यार  कोई खेल तो नहीं  होता
वह जबरन भी नहीं  होता
तुम  मैसेज करते थे
तुमको मेरी ऑखे  अच्छी लगती थी
तुमको मेरे कान के बूंदे  अच्छे  लगते थे
तुमको  मेरे माथे पर की लट अच्छी  लगती  थी
मेरे लहराते बाल अच्छे  लगते थे
मेरा सांवला सा रंग अच्छा  लगता था
मेरे ओठ अच्छे  लगते थे
मेरी हर अदा अच्छी लगती  थी
मैंने  भी तुम्हे  तवज्जों  नहीं  दी
सोचा कोई सिर फिरा आशिक है
अपने आप ही बदल जाएं गा
पर यह क्या ??
तुमने  तो मेरी पूरी दुनिया  ही बदल दी
मुझ पर तेजाब डाल दिया
मेरा चेहरा वीभत्स  कर दिया

आज ऑखे  धंस  गई हैं
ओठ टेढे हो गए हैं
नाक दब गई  है 
त्वचा जल गई है
केश झुलस  गए हैं
पूरे शरीर  में  जलन ही जलन
तुम्हें  मेरे  जिस रूप से प्यार  था
उसको ही खत्म  कर दिया
प्यार  तो त्याग  का नाम  है
उसमें  जान ली नहीं  जाती
दी जाती है
पर इतना घिनौना  कृत्य

जेल की सलाखों  के पीछे  हो
एक न एक दिन बाहर आ ही जाओगे
मैं  तो पडोस  में  ही हूँ  न
हर रोज  तुम्हें  अपना चेहरा  दिखाऊंगी
तुमको  याद दिलाऊगी
पल - पल सोचने पर मजबूर  करूंगी
पूछूगी 
क्या अब भी प्यार है मुझसे
अब तो मुझसे  इस रूप के साथ कोई  प्यार  करने से रहा
तुम  सचमुच  प्यार  करते  थे  तो अब भी करों गे
प्यार  तो आत्मा  से होता है न शरीर  से नहीं
पर पता है तुम  यह  नहीं  कर पाओगे
मेरी जिंदगी  तबाह  की है न
तुम्हारी  भी कभी आबाद नहीं  होगी
यह एक धधकती आत्मा  की बददुआ  है
जो कभी पीछा  न छोड़ेगी
लाख यतन  करों
जेल से मुक्त  हो जाओगे
पर इस अपराध बोध से नहीं
अगर  मानव होंगे तो ??

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