Saturday 31 July 2021

वैसे हमारे लिए भी

कभी मैंने सिखाया तुझको
चलना सिखाया तुझको
तरीका रहन सहन का सिखाया तुझको
मनपसंद खाना खिलाया तुझको

हमारा समय बीत चुका है
अब बारी तेरी है
बात कोई फर्ज की नहीं
न कोई कर्ज की
न दुनिया दारी की
बस एक अपनेपन की है

वहीं अपनापन जो हमसे मिला था
प्यार  और स्नेह मिला था
अधिकार  मिला था
हम , हम न रहे थे
अपने को समाहित कर दिया था
तुम्हारे लिए

अब हमें भी कुछ सीखना है
मोबाइल चलाना
गाडी बुक कराना
ए टी एम से पैसे निकालना
होटल से खाना मंगवाना
यह सब हमसे ज्यादा तुमको आता है
कम्प्यूटर युग के हो

तब जरा समय निकालो
हमारा भी कुछ ख्याल रखो
काम तो चलता रहेगा
जैसे सबके लिए  समय
वैसे ही हमारे लिए भी

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