Friday 20 August 2021

फूल की मुस्कान

कितना भी कुचला जाएं
कितना भी मसला जाएं
कभी भी तोड़ा जाएं
कली खिलने के पहले ही
तब भी फूल मुस्कराना नहीं छोड़ता
पतझड़ के बाद वसंत आता ही है
यह तो उसकी नियति है
जो हो जैसे भी हो
जब तक जीता
तब तक मुस्कराता
तत्पश्चात कचरे के ढेर में
उसे कोई फर्क नही पड़ता

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