Monday 23 August 2021

निकलो इसमें से

रिश्तों  में  प्रेम हो
विश्वास हो
अपनापन हो
तब वह रिश्ता अपना लगता है
अनमनेपन से
जबरदस्ती से
बांधा हुआ मजबूरी में
वह रिश्ता भी कोई रिश्ता होता है
भले उसका कोई भी नाम हो
बस दिखावे के लिए
निभाने के लिए
तब क्या फायदा इनमें बंधे रहने का
मन में  कुछ  हो
अंतर्मन कचोट रहा हो
खुशी महसूस न हो मिलने पर
तब छोड़ दो यार
इसमें से निकल जाओ
तुम्हें  भी सुकून
उन्हें भी सुकून

No comments:

Post a Comment