Thursday 30 September 2021

भाग्य का पहिया

सब कुछ भाग्य और परिस्थितियों पर निर्भर
हवा का रूख बदलते देर नहीं  लगती
कल का भिखारी आज राजा
आज का राजा कल भिखारी
समय क्या करवट लेगा
कोई नहीं जानता
कोई मूढ कालीदास बन जाता है
तो कोई काम छोड़ तुलसीदास
तो कोई राज-पाट और गृहस्थी छोड़ भगवान बुद्ध
अगर हवा का रूख सही हो तो
टूटी नाव भी किनारे पर
न हो तो
बिना झंझा - तूफान के भी मझधार में डूब जाएंगी
कभी-कभी तो किनारे तक पहुँच कर भी
तकदीर और तदबीर
तकदीर तस्वीर बदल देती है
न जाने कहाँ से कहाँ पहुँचा देती है
अगर तकदीर न हो
तब तदबीर कभी-कभी  दूर से ही देखती रह जाती है
जिंदगी  ठेंगा  दिखाते  हुए गुजर जाती है
कोई जान भी नहीं  पाता
हवा अनुकूल तो सब अनुकूल
हवा प्रतिकूल तो सब प्रतिकूल
भाग्य का पहिया कैसे घूमे
किस तरह से घूमें
यह तो वही जानता है
क्योंकि यह किसी के बस में  नहीं
यह विधाता की देन है
उसका विधान इंसान कैसे समझे ।

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