Sunday 31 October 2021

डायरी नहीं सच्ची सहेली है

यह मेरी डायरी है
मेरे पल - पल की साथी
यह मेरे जितने करीब है उतना कोई नहीं
मेरे अंतर्मन की थाह इसी के पास
जब यह खुलती है
इसकी साथी कलम जब पन्नों पर  उकेरती है मेरे मन के भावों को
मेरी उदासी की साथी
संघर्ष की साथी
रात के  तम अंधेरे की साथी
सबसे कुछ  न कुछ छुपा है पर इससे कुछ भी नहीं
यह सब कुछ जानती है
समझती है
दैनंदिन का लेखा-जोखा सब इसके पास
कभी यह मेरे साथ हंसती है
कभी रोती है
कभी दिलासा देती है
मन का चित्रण  इसी के पास
कौन समझेगा
कौन सराहेंगा
इसके बिना
कभी-कभी ऑसू भी टप - टप
उन्हें भी यह प्यार से समेट लेती है
अक्षर धुंधले पड जाते हैं
बहुत प्यार है मुझे  इससे
यह मेरी जीवन गाथा है
बहुत प्रिय भी है
तभी इसे बहुत संभाल कर रखती हूँ
सबसे छुपाकर रखती है
डायरी नहीं यह सच्ची सहेली है

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