Sunday 28 November 2021

शायद इसी को प्रेम कहते हैं

आप जैसे भी हैं अच्छे हैं
क्योंकि  आप संपूर्ण रूप से मेरे हैं
हमारे विचार मेल नहीं खाते
हमारी आदते अलग-अलग हैं
हमारा नजरिया अलग है
हमारी सोच अलग है
रहन सहन का ढंग भी अलग है
धारणा अलग है
यह सब तो होना ही था
जब दो विपरीत ध्रुव वाले मिलेंगे तो
तब भी कभी आप पर शक नहीं हुआ

कारण जानना चाहते हो
क्योंकि  ऐसा कोई दिन नहीं हुआ
जब मुझे याद नहीं किया हो
पहले पत्र का जमाना था तब भी
फोन का जमाना था तब भी
मोबाइल का जमाना है तब भी

आप बहुत अनुशासित हैं
आपको ज्यादा बोलना और लिखना नहीं आता
घंटों बातें  करना भी नहीं आता
फोन हो या मोबाइल
आठ बजे फिक्स है
वह तो तूफान हो या कुछ
आना ही है
तब इससे बडा प्रमाण क्या ?
यह तो तब जब साथ नहीं थे
आज तो साथ है फिर भी तुम मुझे कभी देखते नहीं
ऐसा मेरा मानना है
पर मेरे बिना घर में रहना भी तो तुम्हें सुहाता  नहीं
तुम भले मेरी बात मत मानो
पर मजाल किसी और की
तुम्हारे सामने मुझे बात सुना दे
फिर वह तुम्हारे घर वाले हो या रिश्तेदार

अब यह प्रेम नहीं तो क्या है
प्रेम करने वाला
जरूरी नहीं हर बात में हाॅ मिलाए
वह गुलाम नहीं है
उसका अपना व्यक्तिगत जीवन है
पर जीवन भर तुम्हारा हाथ छोड़ेगा नहीं
तुम्हारे सिवा किसी और को देखेगा नहीं
और इससे ज्यादा एक पत्नी को क्या चाहिए
पैसा वह कमाए
हिसाब तुम लो
तुम्हारे स्वयं के पैसे के बारे में पूछे भी नहीं
खर्च करना और मांगना तो दूर की बात
इतना समर्पण और निस्वार्थ वृत्ति का
यह उसका घमंड नहीं
स्वाभिमान है
जो उसकी जिम्मेदारी है वह उसकी है
ज्यादा पैसे न हो पर जो हो अपने दम पर हो
और क्या चाहिए
चिकनी चुपड़ी बात करने वाला ही प्रेम नहीं करता
खामोश रहकर भी प्रेम होता है

बिना आडम्बर के भी प्रेम होता है
बडी बडी बात करने से नहीं
जिंदगी हर हाल में  निभाने को प्रेम कहते हैं  ।

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