Tuesday 25 January 2022

बेटी तुम जहाँ रहो खुश रहो

बेटी तुम जहाँ रहो
खुश रहो
तुम्हारी कमी अक्सर खलती है
तुम्हारे बिना घर भी सूना सूना सा लगता है
तुम्हारी आवाज सुनने को हम तरसते हैं 
तुम्हें देखने को बेताब रहते हैं 
तुम्हारे आने से घर में खुशियाँ  छा जाती है
तब भी यह देखकर 
मन निश्चिंत रहता है
तुम अपने घर में  खुश हो
वह घर ही अब असली घर
ऐसा नहीं 
इस घर से नाता खत्म 
अधिकार है 
अपनापन है
फिर भी 
बेटियां  ससुराल में ही अच्छी लगती है
पति के साथ ही शोभित होती है
उसका घर बस जाएं 
अच्छा घर - वर मिल जाएं 
बाल - बच्चों में व्यस्त रहें 
रानी बनकर राज करें 
हर माँ बाप की यही इच्छा 
बेटी तुम जहाँ रहो 
खुश रहो

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