Tuesday 10 May 2022

माँ तो माँ है

माँ तो माँ है
जिसकी कोई थाह नहीं
जिसकी कोई राह नहीं
जिसे किसी की परवाह नहीं
बस संतान को छोड़
सारी राह उसी तक
सारे सपने उसी तक
सारा प्यार उसी तक
कितना गहरा
वह तो सागर से भी परे
किसी की औकात नहीं
माँ के प्यार का मूल्य लगा सके
माॅ तो माँ है

कौन समझेगा उसके मन को
जिसका मन उसका ही नहीं
वह तो संतान में ही रमा
कौन समझेगा उसकी भूख को
जिसका भोजन ही संतान के लिए
उसे अपना स्वाद कहाँ याद
वह तो बच्चों में ही घुल मिल गया
उसकी ऑखे तो हमेशा देखती बच्चों को
वह तो अपने को भूल चुकी
बच्चों के साथ ही सोना जागना
बच्चों में ही उसका सुख समाया
जिसका कुछ अपना नहीं
वह तो बस है माँ

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