Saturday 25 June 2022

अब क्या होगा

आज तुम आए हो
वसंत जब खत्म हो चुका है
पतझड़ आ चुका है
वह सब जिम्मेदारी तुम छोड़ गए थे
जो सिर्फ तुम्हारी थी
आज कह रहे हो
मैं भटक गया था
दिग्भ्रमित हो गया था
अब सही रास्ते पर आ गया हूँ 
मुझे माफ कर दो

याद रहें 
हर बात की माफी नहीं होती
कुछ गलती जान बूझ कर
और कुछ अंजाने में 
पर तुमने जो किया 
वह तो भगोडा ही हो सकता है

अब जरूरत नहीं है
सब कुछ बीत चुका है
न जाने कितने वसंत आए
जो पतझड़ से भी बदतर थे
अब तो पतझड़ है 
वह किसी को क्या दे सकता है
न माफी न स्वीकार 
अब तो वही लौटो 
जहाँ छोड़ गए थे ।

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