Wednesday 29 June 2022

बारिश तो सबको भायी है

बारिश तो वही है
झम झमा  झम वाली
कभी इसी बारिश में भीगने के लिए दिल मचलता था
सर पर छतरी तो दिखावा मात्र 
सर से पैर तक पूरा भीगने हुए
सहेलियों संग समुंदर किनारे 
बारिश में अठखेलियां करती लहरें 
उफान मारती और फिर लौट जाती
घंटों किनारे खडे या बैठे मंत्र मुग्ध निहारते 
वह समय था युवावस्था का
काॅलेज के दिनों का

आज भी बारिश तो वैसे ही है
हम अवश्य बदले हैं 
अब भीगने का मन नहीं करता
बारिश में कीचड़ और गंदे पानी में उतरने का मन नहीं करता
काम बढ जाएंगा
तबियत खराब हो जाएंगी 
जल भराव हो जाएंगा
इससे तो भले अपने घर में 
खिड़की पर बैठ कर चाय की चुस्कियां लेते हुए 

फर्क है न 
बचपन की मासूमियत में 
जहाँ कीचड़ में थप थप करते थे
युवावस्था में जहाँ घंटों भीगते थे
बिना बेपरवाह होकर
अधेडावस्था में जहाँ 
कार्यालय से घर पहुँचने की भागम-भाग 
ट्रेन और बस पकडने की जद्दोजहद 
अब आया वृद्धावस्था
जहाँ घर से ही बारिश का आनंद 

जीवन का पडाव 
कोई भी हो
बरसात की तो बात ही निराली है
यह हमेशा सबको भायी है
इसलिए तो यह सब पर भारी है ।

No comments:

Post a Comment