Monday 20 June 2022

बरखा रानी

आज तो शमा है सुहाना 
हर हर करते पेड 
झूमती हरियाली 
मस्ती भरी हवा
पंख फैलाकर नाचते मोर
घोसलो में दुबके हुए पक्षी
ची  ची करती चिडियाँ 
गुटरगू करता कबूतरों का जोड़ा 
कांव कांव करता कौआ
सब देख रहे हैं 
इस सुहावने मौसम की छटा को
बादलों की ओट से सूर्य भी झांक रहे हैं 
इंतजार करते रहें जिसका
वह आज आई है
अपने साथ खुशियां भी लाई है
जीवनदायिनि है 
जल लाई है
सबकी प्यास बुझाने 
सबको तृप्त करने
सूखे को हरा भरा करने
तपती धरती को राहत दिलाने
गर्मी से झुलसतो में  नव ताजगी लाने
कौन ऐसा है जो इसे पसंद न करें 
इसकी  शिद्दत से प्रतीक्षा न करें 
क्या सजीव क्या निर्जीव 
क्या पशु-पक्षी क्या मानव
क्या नदी क्या पहाड़ 
क्या धरती क्या प्रकृति 
सब आनंदित 
पूरा जग आनंदमय 
अब तो समझ गए न
यह है हमारी प्यारी आपकी प्यारी 
सबकी प्यारी 
सबसे न्यारी 
बरखा रानी 

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