Sunday 24 July 2022

पिता का घर

एक घर पिता का होता है
जहाँ अपनापन और अधिकार होता है
एक घर भाई का होता है
जहाँ हम मेहमान सरीखे होते हैं 
कुछ भी छूने से डर लगता है

एक घर पिता का होता है
जहाँ हम जिद करते हैं 
अपनी बात मनवा कर ही छोड़ते हैं 
खाने में ना - नुकुर करते हैं 
एक घर भाई का होता है
जहाँ हम समझदार हो जाते हैं 
जो मिला वह खा लेते हैं 
ना - नुकुर की कौन कहे 
रसोई में जाने पर भी डर लगता है

एक घर पिता का होता है
जहाँ हम जब चाहे आ - जा सकते हैं 
विचरण कर सकते हैं 
परमीशन की जरूरत नहीं 
एक घर भाई का होता है
जहाँ सोचना पडता है 
मौका और वक्त  देखना पडता है

एक घर पिता का होता है
जहाँ हम राजकुमारी होते है
राजदुलारी  होते हैं 
एक घर भाई का होता है
जहाँ हम सिर्फ उस घर की बेटी होते हैं 
नाज - नखरे नहीं कर सकते
उसे उठाने वाला कोई नहीं 
हर भाई पिता समान नहीं हो सकता

पिता तो पिता ही होता है
उसकी जगह कोई नहीं ले सकता 
न किसी का दिल इतना बडा होता है
अपना सर्वस्व लुटाकर भी हमारे चेहरे पर मुस्कान हो 
यह तो पिता ही कर सकता है।

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