Wednesday 13 July 2022

श्रद्धा मन से हो

सर तो झुक गया
सांष्टांग दंडवत भी कर ली
चरण स्पर्श भी कर लिया
अच्छी बात है
मन झुका क्या ?? 
आत्मा से श्रद्धा निकली क्या ??
झुकने के लिए तो 
हम झुक जाते हैं 
कभी परम्परा के वजह से
कभी दवाब की वजह से
कभी दिखावे की वजह से
इन सब का क्या फायदा?? 
श्रद्धा से नतमस्तक हो
प्रेम और अपने पन से हो
मन से आदर निकला हो
यह नहीं कि मन में कडवाहट भरी हो
अंतरआत्मा कोस रही हो
मन से अनवांछित शब्द निकल रहे हो
झुके तो मन से
तब तो आशीर्वाद भी फलेगा
यह बात तो दोनों पर लागू होगा
दुआ देनेवाला भी मन से दे
मन में द्वेष और ज्वाला भर कर नहीं 
अगर ऐसा न कर सको
तब तो न झुको 
न किसी को झुकाओ 

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