Tuesday 5 July 2022

वह बारिश का पानी

बरखा रानी आई है
खुशी का सौगात लाई है
वैसे ही जैसे बिटिया रानी
आती है कुछ दिनों के लिए 
घर को खुशनुमा कर जाती है
चहल पहल बढ जाती है
मन पसंद व्यंजन बनते हैं 
उसके बहाने सब सुस्वादु भोजन का स्वाद लेते हैं 
आस पडोस में घूमती है
बतियाती है , खिलखिलाती है
उसके जाने के बाद 
घर सूना - सूना
अब कब आएगी 
शायद अगले तीज - त्यौहार पर
तब तक सब प्रतीक्षा रत 

वैसे ही यह बारिश भी तो है
इसकी प्रतीक्षा हमेशा रहती है
यह आती है कुछ समय के लिए 
फिर चली जाती है 
हमको छोड़ कर
अगली बार आने का वादा कर

तब तो इससे न घबराना है न डरना
मन सोक्त पानी में भीगना है
छाता लेकर बाहर निकलना है
मजा लेना है
समन्दर किनारे उफनती लहरों को देखना है
कपडे भीग जाएंगे
 सर्दी हो जाएगी
यह चिंता छोड़ देना है
घुटनों तक भरे पानी में छप छप कर
बचपन की यादें ताजा करनी है
स्वयं भी खिलखिलाना है
बूंदो को भी चेहरे पर खिलखिलाने देना है
गाना भी गुनगुनाना है
वह बारिश का पानी
     वह कागज की कश्ती 

1 comment:

  1. Fabulous descriptionof rain. I also liked the comparison with the daughter 's coming home. Language is wonderful as always !

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