Wednesday 6 July 2022

जीवन भर की साथी

एक वह भी दिन था
जब चारों ओर पानी ही पानी
पूरा शहर पानी में तैर रहा था
हम भी फंस गए थे
सडक तो गायब ही लगती थी
लगता था 
अब वापस घर नहीं पहुंच पाएंगे 
चमत्कार करने वाला तो ऊपर वाला
पानी का सैलाब हो या ज्वाला का तांडव 
निकाल तो वही  सकता है
तभी तो एक कंकड़ लगने पर भी खत्म 
खाई में गिरने पर भी जीवित 
जब तक वहां से बुलावा नहीं 
तब तक कोई बाल बाँका नहीं कर सकता 
मृत्यु से क्या डरना
कितना भी जतन किया
तब भी जब उसे आना था 
वह आई 
बडे बडे डाँक्टर 
बडी बडी बादशाहत
उसे कोई डिगा न पाया
यह तो साये की तरह साथ चलती है
जिंदगी के साथ चलती है
जब यह साथ छोड़ देती है
तब यह जहां भी छूट जाता है 

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