Tuesday 26 July 2022

हम भारत की नारी है

हम भारत की नारी है
नहीं किसी से हारी है 
सब पर भारी है
सब्जी काटने के चाकू से लेकर तलवार 
चलाना आता है
हम ही सीता हम ही लक्ष्मी बाई 
पति संग सब छोड़ चली वन को
पति विरासत की रक्षा करने बांध लिया पीठ पर पुत्र 
तलवार चला बनी मर्दानी 
अंग्रेजों ने भी जिसके आगे भरा पानी
जग जननी है
जग माता है
गृहिणी है ऐसा नहीं 
हम तो इंदिरा भी है 
द्रौपदी मुर्मू  भी हमी है
हम में तो महान प्रतिभा छिपी है
मौका तो दे कोई 
तब वह कर दिखाए 
असंभव को भी संभव बना दे 
न मिले तो 
अब अपना हक लेना हम जानती है
सहना ही नहीं छिनना  भी हमें आता है
हम ममता की मूरत है
पत्थर की नहीं 
हमें देवी मत बनाओ
हमारी क्षमता को मत दबाओ
हम तो कदम से कदम मिलाकर चलने वाली है
क्या घर क्या बाहर
अपना परचम फहराने वाली है
हम भारत की नारी है
नहीं किसी से हारी है 

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