Thursday 8 September 2022

सब बदल गया

समय बदल गया 
उम्र बढ गयी
अब वह पहले जैसा जोश और शक्ति नहीं रही
लोगों का नजरिया बदल गया
सारे संबंध बदल गए
संबंधों में पहले जैसा जोश और उत्साह नहीं रहा 
दोस्त- सहेलियां सब छूट गए
मायका बदल गया
ससुराल बदल गया
बच्चे बदल गए
सब अपनी-अपनी लाइफ में व्यस्त 
अब न पहले वाली बात रही 
न हम वह रहे न लोग वह रहे 
पहले जहाँ हमारा सिक्का चलता था
वह भी अब घिस गया
हाँ एक आदमी और बदला
हालांकि उसको बदलने के प्रयास में पूरी जिंदगी लगा दी
तब भी नहीं बदला
आज बदला है
अब वह पहले जैसा हुक्म नहीं देता
न ही बेबात पर चिल्लाता है
खाने - पीने के नाज - नखरे भी नहीं करता है
नुक्स भी नहीं निकालता
अब तो हाथ में स्टिक थमाता है
जो पहले आगे-आगे भागता था
आज हाथ पकड़ कर चलता है
दवाई की याद दिलाता है 
डाक्टर के इंतजार में घंटों बैठता है
कभी-कभी घुटनों में तेल भी लगा देता है
लगता है उसका सारा अहम् छू मंतर
यही वह शख्स जो बात नहीं मानता था
आज बैठकर सुनता है
समय के साथ-साथ जीवन साथी भी बदलता है
वैसे यह बदलाव अच्छा है
जहाँ सब अनदेखा करते हो
तब एक शख्स है वह 
जो हमेशा ध्यान रखता है 
यह बदलाव भी कमाल का है
इसे भी जी भर कर जी लो
जवानी कैसे भी गुजारी हो
बुढ़ापा तो साथ - साथ गुजरे
एक - दूसरे का हाथ और साथ बहुत जरूरी है
उम्र के इस पड़ाव पर ।

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