Saturday 3 September 2022

खुशियाँ पाने की होड

हर बार खुशी आकर फिर दूर हो जाती है
लगता है मुझे चिढा जाती है
खुश होने का अधिकार तो हर किसी को
कभी तो चिंता से मुक्ति मिले
विचारो की ऊहापोह से दूर हो
कश्मकश की स्थिति न हो
हालांकि ऐसा अब तक हुआ नहीं 
कुछ परिवार के घेरेबंदी में ऐसी फंसी 
अपने को भूल ही गयी
कुछ न कुछ करना था
कभी यह हासिल करना था कभी वह
यह सब किसके लिए 
जिनके लिए किया
उन्हें तो उनका भान भी नहीं 
भविष्य को सुधारने के चक्कर में वर्तमान को ही न जी पायी
अब तो उम्र के इस पड़ाव पर 
लगता है सब बेकार है
शायद कहीं कोई गलती हो गई 
कुछ छूट गया
खुशियाँ पाने की होड में खुशी ही पीछे रह गई 
क्या खुश होने का अधिकार 
कुछ को ही है
हमें भी तो है
अब तो लगता है
कुछ पल जी ले अपने लिए 
यह तो नहीं सुनना पडेगा 
क्या किया है
खुश हो जाएंगे यह सोचकर 
अपनी जिंदगी तो खुशी पूर्वक जी ली 

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