Thursday 29 September 2022

रात गई बात गई

रात गई बात गई
बात आई गई 
यह बात है बाबा
आती - जाती नहीं है
ह्रदय में धर कर जाती है
एक रात की बात ही छोड़ दे
यह तो दशकों तक क्या सदियों तक रहती है
ताउम्र साथ ही रहती है
समय-समय पर प्रकट होती रहती है
सब कुछ बदल जाता है
समय आगे चला जाता है
परिस्थितियां भी वह नहीं रहती
बात फिर भी उसी जगह 
उसी रूप में 
जड बना कर 
बात का बतंगड तो बनता ही है
बहुत कुछ जो घटित होता है
उसके पीछे बात होती है
बात की लगाम कस कर रखना है
कुछ ऐसी - वैसी न निकल जाएं 
इससे परिवार क्या सत्ता पलट हो जाती है
बहुत दमदार है यह बात ।

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