Tuesday 18 October 2022

कृष्ण 20

यधव्दिभूतिमत्सत्तवं श्रीमदूर्जितमेव   वा ।
तत्तदेवावगच्छ त्वं मम  तेजोशसम्भवम्  ।।


तुम जान लो कि सारा ऐश्वर्य 
सौन्दर्य तथा तेजस्वी सृष्टियाॅ 
मेरे तेज के एक स्फुलिंग मात्र से उद्भूत हैं। 

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