Wednesday 23 November 2022

औरत का हाल

माँ का दिल रोता है
बाप का दिल नहीं पसीजता
वह तो इज्जत की दुहाई देता है
समाज का ख्याल करता है
लोग क्या कहेंगे 
यही सोच डरता है
बेटी को प्यार तो करता है
उसकी बात नहीं मानता 
न वह समझता है
न समझना चाहता है
माँ तो बेचारी लाचार
करें तो क्या करें 
धमकी देता है छोडने की
इसी ऊहापोह में सब रहते हैं 
न खुशी से जीते हैं 
न किसी को जीने देते है
समाज जो किसी काम नहीं आता
हंसने के सिवाय 
उसी के कारण अपनी बेटी की खुशियों का गला घोटता है
यह किसी एक घर की कहानी नहीं 
अमूनन हर घर की कहानी है
विकास की बात केवल किताबों में 
मानसिकता तो वैसी की वैसी है
बदलना नहीं है
इस का परिणाम 
इसका अंजाम 
कभी अच्छा तो कभी बुरा
सहना औरत को ही है
कभी बेटी कभी पत्नी के रूप में 

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