Saturday 16 September 2023

नदी कहती है

नदी हमारी माता है
जल दायिनी है
उसका भी कुछ ऋण है हम पर 
वह तो निरंतर अपना कर्तव्य कर रही है
माता का जो होता है
हम कर रहे हैं??
माँ कुछ नहीं कह रही
तब हम कुछ भी करें 
कूडा- कचरा डाले 
गंदगी फैलाए 
मल मूत्र विसर्जित करें 
ईश्वर पर चढाया हुआ पुष्प - हार और दूसरी वस्तुएं
सब उसी में डाल दे 
पाप न लगे इस कारण 
कहीं और डालेगे तो
माँ कितना पाप धोएगी 
और किसका - किसका
उसकी भी कुछ सीमा है
हम त्योहारों का आनंद ले
परेशान उसे करें 
अकल दी है परमात्मा ने
अपनी भी आत्मा की आवाज सुने
सही है जो हम कर रहें 
यदि नहीं 
तब रूक जाओ ।

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