Monday 11 September 2023

पेड़ और बेल

एक पेड़ खडा था अकेला 
एक कोने में बगीचे के
उसके दूसरे साथी थोड़ा दूर थे 
एक दिन एक लता न जाने कहाँ से पेड के नीचे आ गई 
पेड़ को अच्छा लगा
चलो कोई साथी तो मिला 
उसने लता को सहारा दिया 
लता उसके पूरे इर्द-गिर्द फैलने लगी 
फिर पेड़ पर चढना शुरू किया
पेड़ स्नेहपूर्वक अपनी बांहे फैलाये रहा 
बेल चढती रही 
पूरे पेड़ को ढकती रही
अब पेड़ पर मुश्किल आन पडी
सूर्य की किरणें जो सीधी उस पर पडती थी
वह बंद हो गई 
उसका दम घुटने लगा
वह खोखला होने लगा
अब वह महसूस  करने लगा
इसे पनाह देने के पहले सोचना था
अब तो लगता है
मेरा अस्तित्व मर रहा है
पहले कैसा स्वतंत्र और स्वच्छंद था
अब तो हिलना - डुलना  भी दूभर 
जिंदगी में भी ऐसा होता है
जिसको हम पनाह देते हैं 
वही हमारी जडो को खोदना शुरू कर देता है
सहायता करना अच्छी बात है
लेकिन अपने को मिटाकर नहीं। 

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